रायपुर । धान ख़रीदी और किसानों के मामले में पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के बयानों पर कांग्रेस ने कहा है कि रमन सिंह बयान कुछ और दे रहे हैं और प्रदेश तथा राष्ट्रीय स्तर पर उनकी पार्टी ठीक उल्टे काम कर रही है। पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और अभनपुर विधायक धनेन्द्र साहू ने कहा है कि एक ओर तो रमन सिंह और भाजपा नेतागण किसानों की चिंता के बयान जारी करते हैं और दूसरी ओर केंद्र में भाजपा की सरकार के ज़रिए किसानों को चिंतित करने वाले आदेश जारी होते हैं। कम से कम चार ऐसे उदाहरण हैं जिससे साफ़ हो जाता है कि भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष के रूप में रमन सिंह छत्तीसगढ़ के किसानों के साथ छल कर रहे हैं।
पहला उदाहरणः
एफसीआई को गो स्लो कहते हैं। यानी चावल उठाने की गति धीमा करवाते हैं। चूंकि एफ़सीआई केंद्र सरकार के अधीन है इसलिए केंद्र के ज़रिए यह नियंत्रण आसान होता है। दूसरी ओर रमन सिंह और भाजपा के दूसरे नेता प्रदेश में धान का उठाव नहीं होने का आरोप लगाते हैं
दूसरा उदाहरणः
जूट कमिश्नर से धान खरीदी के लिये जूट बोरों की सप्लाई बाधित करते हैं। एक तो जूट कमिश्नर ने राज्य के लिए तीन लाख गठान बारदाने की जगह सिर्फ़ 1.43 लाख गठान बारदाना देने की बात कही और फिर इतना बारदाना भी नहीं दे रहे हैं। दूसरी ओर भाजपा के नेता बोरों की कमी को लेकर आंदोलन करते हैं। अगर केंद्र की भाजपा सरकार बारदाना नहीं देगी तो राज्य की सरकार का इसमें क्या है? राज्य सरकार ने तो स्थिति संहालने के लिये हर संभव कदम उठाये हैं।
तीसरा उदाहरणः
केन्द्र सरकार से आदेश जारी होता है – एक रुपया भी समर्थन मूल्य 1868 रु. के ऊपर नहीं देना है। नहीं तो छत्तीसगढ़ के किसानों के धान से बना चांवल छत्तीसगढ़ में ही बने एफसीआई के गोदामों में नहीं रखा जायेगा। केंद्र सरकार सवाल पूछती है कि राजीव गांधी किसान न्याय योजना से कहीं बोनस का पैसा तो नहीं दिया जा रहा है? इसी की वजह से 60 लाख टन चावल की जगह सिर्फ़ 24 लाख टन चावल लेने के आदेश आते हैं। जबकि किसानों को धान के साथ गन्ना और मक्का के लिए भी न्याय योजना में पैसा दिया जा रहा है। दूसरी ओर भाजपा के नेता राज्य सरकार को बदनाम करने के लिए 2500 रु. नहीं देने का झूठा आरोप लगाते हैं। जबकि वे बखूबी जानते हैं कि न केवल धान बल्कि गन्ना और मक्का उगाने वाले किसानों के साथ भी राज्य की सरकार न्याय कर रही है।
चौथा उदाहरणः
जीएसटी की बकाया राशि नहीं दे रहे हैं और कर्ज लेने को लेकर आरोप लगाते हैं। एक बड़ा सच यह भी है कि केंद्र सरकार ने इस वित्तीय वर्ष में राज्य को हज़ारों करोड़ रुपए का जीएसटी का बकाया नहीं दिया है। जो कि राज्य का क़ानूनी हक़ है। अब राज्य सरकार राज्य में कल्याणकारी योजनाओं के लिए कर्ज न ले तो क्या करे? भाजपा नेता इस मामले में भी लगातार कोरी बयानबाजी कर रहे हैं।
9000 करोड़ धान खरीदी के लिये राज्य सरकार द्वारा लिये गये ऋण को केन्द्र सरकार का पैसा बताते हैं जबकि यह प्रत्येक वर्ष धान खरीदी की प्रक्रिया है। भाजपा नेता इस बात का ज़िक्र नहीं करते कि इस साल भूपेश बघेल सरकार ने पिछले साल के मुकाबले 71 प्रतिशत अधिक किसानों से 71 प्रतिशत अधिक धान खरीदा।
वरिष्ठ कांग्रेस नेता धनेन्द्र साहू ने कहा है कि रमन सिंह, धरम लाल कौशिक और विष्णुदेव साय किसानों को राजनीति में न घसीटें। उनके कार्यकाल में किसान पर्याप्त भुगत चुके हैं और अब ज़रुरत है कि किसानों की ख़ुशी को वे बर्दाश्त करें। उन्होंने कहा है कि जहां तक कांग्रेस सरकार का सवाल है तो पिछले दो साल में कांग्रेस सरकार ने किसानों से किया हर वादा पूरा किया है। भाजपा की केंद्र सरकार के अड़ंगों के बावजूद किया है। उन्होंने कहा है कि कांग्रेस ने आजादी के पहले भी किसानों की लड़ाई लड़ी और आजादी के बाद भी किसानों के हक की लड़ाई लड़ रही। धनेन्द्र साहू ने कहा है कि रमन सिंह घर से निकलकर दो चार किसानों से मिल लें तो उन्हें ज़मीनी हक़ीकत का पता चल जाएगा। वे राजनीति करें, लेकिन किसानों को बख्श दें।
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