अपनी मांगों पर अड़े हैं किसान, आज सरकार के साथ होगी आठवें दौर की बातचीत

by sadmin

नई दिल्ली | केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों का विरोध करते हुए किसानों को एक महीने से ज्यादा हो गया है। इस बीच किसानों और सरकार के बीत सात बार बातचीत हो चुकी है लेकिन उससे कोई बड़ा हल निकल कर नहीं आया है। आज यानी शुक्रवार को किसान सरकार के साथ आठवें दौर की वार्त करेंगे। पिछली बार हुई बातचीत में सरकार मे उन कानूनों को वापस लेने से इनकार कर दिया। किसानों का कहना है कि इन कानूनों से उनकी आय को नुकसान होगा और सरकार को ये कानून वापस लेने ही पड़ेंगे।

4 जवनरी को हुई अंतिम दौर की वार्ता में इस गतिरोध को समाप्त करने में विफल रही। सरकार का कहना है कि उसने किसानों के लिए एक अलग प्लान तैयार करके रखा है और किसान नेताओं का कहना है कि उनकी मांगे पूरी नहीं होती है तो गणतंत्र दिवस पर वे योजनाबद्ध तरीके से मार्च निकालेंगे। इसी कड़ी में हजारों किसानों ने कुंडली-मानेसर-पलवल एक्सप्रेसवे पर शुक्रवार को दिल्ली की सीमाओं पर अपने शिविरों से ट्रैक्टर मार्च का मंचन किया।

स्वराज इंडिया के संस्थापक और किसान नेता योगेंद्र यादव ने कहा, “मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि सरकार ने एक नया प्रस्ताव तैयार किया है। ऐसा कुछ नहीं है। यह आज हमारे सफल ट्रैक्टर मार्च से मीडिया का ध्यान हटाने के लिए सिर्फ एक खेल है।”

4 जनवरी को सातवें दौर की वार्ता में, जब किसानों ने सरकार पर सितंबर में संसद द्वारा अनुमोदित तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने का दबाव डाला तो कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि काूननों को निरस्त करना संभव नहीं था।

किसानों के नेता दर्शन पाल ने कहा, “हम सरकार को कल की बैठक के बाद फिर से याद दिला रहे हैं कि इन कानूनों को पूरी तरह से रद्द कर दिया जाना चाहिए और सभी किसानों को कानूनी अधिकार मिलाना चाहिए।”

अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के सचिव अविक साहा ने कहा, “किसानों का आंदोलन जारी रहेगा और हम आधिकारिक परेड में खलल डाले बिना गणतंत्र दिवस मनाने के लिए राजधानी में प्रवेश करेंगे।”

Related Articles

Leave a Comment