कोलकाता. उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले (Lakhimpur Kheri) में रविवार को प्रदर्शन के दौरान घटी घटना में 4 किसानों की मौत (Farmers Death) हो गई थी. इस घटना पर दुख जताते हुए और किसानों के प्रति एकजुटता पेश करते हुए पश्चिम बंगाल के कोलकाता (Kolkata) में एक दुर्गा पूजा पंडाल (Durga Puja) ने इसे अपने यहां जगह दी है. इस बार पंडाल को किसानों को समर्पित थीम में सजाया गया है. 21 साल पुरानी दम दम पार्क भारत चक्र पूजा कमेटी ने पंडाल को किसानों के संघर्ष और तीन कृषि कानूनों के खिलाफ उनकी लड़ाई को प्रदर्शित किया है.
पंडाल को डिजाइन करने वाले कलाकार ने प्रवेश द्वार पर दो पंखों वाला एक ट्रैक्टर लगाया है. आयोजकों ने कहा कि यह पंख बंधन से मुक्ति और लोगों की इस इच्छा का प्रतीक है कि किसानों का विरोध जल्द ही अपने उद्देश्यों को प्राप्त करेगा. कलाकार ने प्रवेश द्वार पर पुलिस बैरिकेड्स के साथ विभिन्न प्रकार और आकार के जूते भी रखे हैं. पूजा समिति के एक सदस्य ने बुधवार को कहा, ‘जूते एक विरोध प्रदर्शन में इकट्ठा होने का प्रतीक हैं और यह भी उजागर करते हैं कि कैसे पुलिस की कार्रवाई कभी-कभी प्रदर्शनकारियों को अपनी चप्पल छोड़कर भागने के लिए मजबूर करती है.’
पंडाल के अंदर एक एसयूवी और दो असल टायरों की पेंटिंग एक नारे के साथ एक दीवार पर है. इसमें लिखा है, ‘मोटरगारी ओरे धुलो, आला पोर चाशी गुलो मतलब मोटरकार तेज हो जाती है, धूल के बादल भेजती है और किसानों को अपने पहियों के नीचे कुचल देती है.’
पंडाल की थीम की अवधारणा करने वाले कलाकार अनिर्बान दास ने ‘हम किसान हैं, आतंकवादी नहीं, कोई किसान नहीं, कोई भविष्य नहीं, जय जवान, जय किसान’ जैसे अन्य नारों का भी इस्तेमाल किया है. दास ने कहा कि नारों को उजागर करने के लिए जूट के कागजों का इस्तेमाल किया गया था. भारत में जीवन के लिए कृषि की केंद्रीयता को समझाने के लिए दुर्गा की मूर्ति के चारों ओर एक ‘धान का खेत’ है. पूजा समिति के सचिव प्रतीक चौधरी ने कहा, ‘दुर्गा पूजा पृथ्वी पर सबसे महान समारोह में से एक होने के कारण हम अक्सर संदेश फैलाने का अवसर लेते हैं. यहां कुछ भी राजनीतिक नहीं है. पूजा पंडाल की थीम आमतौर पर समसामयिक विषयों का अनुसरण करती है. इसलिए, हमने सोचा कि चूंकि सदियों से किसानों के कई विरोध प्रदर्शन हुए हैं और यह सबसे चर्चित विषय है, तो क्यों न इसे पूजा पंडाल का विषय बनाया जाए और किसानों के साथ एकजुटता दिखाई जाए? हमने इस थीम को बनाने के लिए 25-26 लाख रुपये खर्च किए गए हैं.’